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कोई दरिया उतर गया जैसे / नमन दत्त

कोई दरिया उतर गया जैसे।
तू गया, दिल ठहर गया जैसे।

आलमे-बेख़ुदी भी क्या कहिये,
कोई दीवाना कर गया जैसे।

गिर के टूटा यूँ आज पैमाना।
ख़्वाब कोई बिखर गया जैसे।

आप यूँ बज़्म से हुए रुख़सत,
मौसमे-गुल गुज़र गया जैसे।

क्यूँ घुटा जाता है दम सीने में,
कोई एहसास मर गया जैसे।

उसने "साबिर" का यूँ सलाम लिया,
एक एहसान कर गया जैसे।