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कोई दिल में आकर चला जा रहा है / गुलाब खंडेलवाल

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कोई दिल में आकर चला जा रहा है
निगाहें मिलाकर चला जा रहा है

हज़ारों थे वादे, हज़ारों थी क़समें
मगर सब भुलाकर चला जा रहा है

जो पूछा भी उससे कि फिर कब मिलोगे
तो बस मुस्कुराकर चला जा रहा है

जिसे देखने को खडा था ज़माना
वो परदा गिराकर चला जा रहा है

गुलाब! आप जिसके लिए खिल रहे थे
वही मुँह फिराकर चला जा रहा है