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कोई दुनिया में है आप जैसा नहीं / कैलाश झा ‘किंकर’
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कोई दुनिया में है आप जैसा नहीं
आइने में कभी ख़ुद को देखा नहीं।
हर घड़ी तो ग़ज़ल ही ग़ज़ल दिल में है
कैसे कह दूँ अदब से है रिश्ता नहीं।
जा भी सकता है दिल जिस किसी पर कभी
दिल पर रखना कभी भी भरोसा नहीं।
मर्द को दर्द होता भले हो मगर
हँसके जीता कभी भी वह रोता नहीं।
वक़्त सबसे बड़ा है मदारी मगर
आदमी भी चतुर है खिलौना नहीं।