कोई बिजली खला में कौंध जाए यूूं भी होता / कांतिमोहन 'सोज़'

कोई बिजली खला में कौंध जाए यूूं भी होता है ।
यकायक बैठे-बैठे दिल भर आए यूूं भी होता है ।।

बड़ा अंधेर होता है कभी सूरज के हाथों भी
अंधेरा आंसुओं से जगमगाए यूूं भी होता है ।

कभी माज़ी के साए कसके दामन थाम लेते हैं
फिर उसकी याद मुद्दत तक न आए यूूं भी होता है ।

वजूद अपना कभी परबत से ऊंचा जान पड़ता है
कंवल पर बूंद जैसा थरथराए यूूं भी होता है ।

सचाई हमसे पूछो क्या नहीं होता ज़माने में
सहर का भूला शब को घर न आए यूूं भी होता है ।

अजब अंदाज़ हैं इस दिल के बारे-ग़म उठाने के
न बोले कुछ भी लेकिन कसमसाए यूूं भी होता है ।

इसी उम्मीद पर बैठा हुआ है सोज़ घर अपने
कुआं प्यासे के खुद नज़दीक आए यूूं भी होता है ।।

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