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कोई भी बात बेमानी नहीं है / बलबीर सिंह 'रंग'

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कोई भी बात बेमानी नहीं है,
हक़ीक़त हमने पहचानी नहीं है।

निगाहों में वहाँ सागर छलकते हैं,
यहाँ आँखों में भी पानी नहीं है।

वो मेरी बात सुनना चाहते हैं,
क़यामत है मेहरबानी नहीं है।

अभी तो वक़्त है ले लो दुआयें,
जवानी लौट कर आनी नहीं है।

न क्यों दुनिया से मैं उम्मीद रक्खूँ,
निराला ‘रंग’ है फ़ानी नहीं है।