भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कोई मांगी कढ़ाई ना देय मेरा दिल हलुवै नै / हरियाणवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कोई मांगी कढ़ाई ना देय मेरा दिल हलुवै नै।
जैसे तैसे मैंने लई कढ़ाई सासू जी आटा ना देय
मेरा दिल हलुवै नै।
जैसे तैसे मैंने आटा लीया जिठाणी मीठा ना देय
मेरा दिल हलुवै नै।
जैसे तैसे मैंने मीठा लीया द्योराणी घी ना देय
मेरा दिल हलुवै नै।
जैसे तैसे मैंने घी भी लीया नणदल चूल्हा ना देय
मेरा दिल हलुवै नै।
जैसे तैसे मैंने हलुवा बनाया होलरिया खाण ना देय
मेरा दिल हलुवै नै।