भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोई है / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
कोई है
जो मुझसे दूर गल रहा है
बर्फ की तरह
नदी बनकर
मुझसे मिलने के लिए
प्रमाण के बाद
समय के सिंधु से
रचनाकाल: १७-०३-१९६८