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कोई हो बेवफ़ा देखा न जाये / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
कोई हो बेवफ़ा देखा न जाये
किसी का रास्ता देखा न जाये
करे जो नफरतों की बात हरदम
कभी देता दुआ देखा न जाये
हमेशा हौसला खुद पे ही रखना
किसी का आसरा देखा न जाये
निगाहों में बसी सूरत है तेरी
कोई तेरे सिवा देखा न जाये
उड़ानें भर रहा जो आसमाँ में
परिन्दा भी गिरा देखा न जाये
लगे हैं गुफ़्तगू सब लोग करने
हुए हैं जो जुदा देखा न जाये
कभी किलकारियों से गूँजता था
ये सूना झोंपड़ा देखा न जाये