भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोउ सखिया रसिया देअ हो बताय / बघेली
Kavita Kosh से
बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कोउ सखिया रसिया देअ हो बताय
नेहा लगाय के चला गा
ये कोने बरने ओखे घोड़े छयल के
है कउन बरनि असवारि रसिया
नेहा लगाय के चला गा
हंसा बरनि आंखें घोड़ा छयल के
है पातार असवार रसिया
नेहा लगाय के चला गा
अरे हरे रंग रतनारे चौक का
है सुअना रंगीला कोउ देअ हो बताय