कोऊ कलंकिनि भाखत है कहि
कामिनिहू कोऊ नाम धरैगो ।
त्रासत हैं घर के सिगरे अब
बाहरीहू तो चवाव करैगो ।
दूतिन की इनकी उनकी
'हरिचंद' सबै सहते ही सरैगो ।
तेरेई हेत सुन्यो न कहा कहा
औरहु का सुनिबो न परैगो ।
कोऊ कलंकिनि भाखत है कहि
कामिनिहू कोऊ नाम धरैगो ।
त्रासत हैं घर के सिगरे अब
बाहरीहू तो चवाव करैगो ।
दूतिन की इनकी उनकी
'हरिचंद' सबै सहते ही सरैगो ।
तेरेई हेत सुन्यो न कहा कहा
औरहु का सुनिबो न परैगो ।