भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कोठे ऊपर में बनरा सूतल हे / मगही

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कोठे ऊपर में बनरा<ref>बंदरा, दुलहा</ref> सूतल हे।
बनरा बोलाबे लाड़ो<ref>लाड़ली, दुलहन</ref> कइसे<ref>कैसे</ref> आवे हे।
अगे माइ, नया तोहर दुलहा भीरे<ref>नजदीक, पास</ref> कइसे आवे हे॥1॥
पायल के अवाज सुनि दादा जागथ<ref>जग जायेंगे</ref> हे।
अगे माइ, नया दुलहिनिया लाजे कइसे आवे हे॥2॥

शब्दार्थ
<references/>