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कोदे की रोटी / कुमार कृष्ण

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ओ साँवली रोटी!
कहाँ खो गई तुम?
अकाल के खिलाफ जंग लड़ने वाली नाजुकमिजाज
तुम्हें ही तो मिला है
सैकडों वर्ष ज़िन्दा रहने का वरदान,
तुम्हारे बारे में जानना चाहते हैं मेरे बच्चे
देखना चाहते हैं तुम्हें बार-बार
लौट आओ, तुम लौट आओ
खेत और आग दोनों तुम्हारी प्रतीक्षा में हैं।