भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोनऽ तोखऽ मार्यो खड़का / पँवारी
Kavita Kosh से
पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कोनऽ तोखऽ मार्यो खड़का
कोनऽ तोखऽ दी हय गाली रे
रोंढा गाँव का लोग माय्हजन
लात अन् घुस्सा मार्या रे।।