कोमल कमल हेनो मंजुल मनोहर ई
परम पवित्र सुचिता के ही निशानी छै।
सुखद सहज देखी शोक केॅ भुलावैवाली
मन सें कलुषता केॅ दूर विलगानी छै।
हीनता हैरानी दुख दीनता मिटावै सब
रसें रसें रसै बसै रूप गुणी मानी छै।
सब गुण खान कवि कर्म के भी जान छेकै
प्राण कला कृतिहौ के रूप महारानी छै॥