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कोयल और बच्चा / विजयदेव नारायण साही

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सन्तो ऎसा मैंने एक अजूबा देखा

आज कहीं कोयल बोली
मौसम में पहली बार
और उसके साथ ही, पिछवाड़े,
किसी बच्चे ने उसकी नकल कर के
उसे चिढ़ाया कू... कू...

देर तक यह बोलना-चिढ़ाना चला।
खीज कर कोयल चुप हो गई
ख़ुश हो कर बच्चा।