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कोयल / अनुभूति गुप्ता
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काली-काली कोयल,
गीत सुरीले वह गाती।
मधुर-मधुर धुन से,
मन को बहुत वह भाती।
बंटू दुःखी जब-जब होता,
आंखों से आँसू छलकाता।
कोयल को पास वह बुलाता,
गीत खुशी के गवाता।