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कोयल / फुलवारी / रंजना वर्मा
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कू कू करती कोयल काली।
फुदका करती डाली डाली॥
मीठे स्वर से हमें लुभाती।
प्यारे प्यारे गीत सुनाती॥
फूलों की ऋतु आती प्यारी।
हो जाती है यह मतवारी॥
इसकी कूक लुभाने वाली।
कू कू करती कोयल काली।