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कोरौ सवाल / आईदान सिंह भाटी

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अजै तांई औ कोरौ सवाल है
परभात रै पौर रै उजास ज्यूं निरमळ
अटकल बाजियां सूं अळगौ
ऊजळौ धवळौ दूध
फूलां सूं कंवळौ अर फूटरौ
इण सवाल रौ उणियारौ
समदर रीह छौळां ज्यूं
गरजण-तरजण करतौ इण रौ साद
घुड़ सवार ज्यूं अचपळौ-
पवन सूं बातां करतौ।
अलेखूं आकास गंगावां
अर सैंसे तारां मेें
इणरौ पडूत्तर सोधौला?
कै खळखळातै बरसाती नाळां
मरूथल री पाळां
अर अगन री झाळा में
जोवौला उणरौ उणियारौ।
सैरां अर गांवां रै बिच्चै
सोधौला इणरौ डौळ
कै जोवैळा स्त्रिस्टी री सैं ठौड़।
इणरौ पडूत्तर तौ है सैंसरूप
भारीज्योड़ै आदमी ज्यूं निसकारतौ
अर दूजी कांनी
मुड़दां में संजीवण भरतौ
सुकरास।
हां, औ है कोरौ सवाल
सगळां री सोचण री सीवां री
आगळ खटकातौ
नींदाळू आंख्यां में
मिरचां बुरकातौ तीखौ सवाल।
बगत सूं पैला कै औ सवाल
बण जावै बाजीगर
नचावै थांनै
सगळी स्त्रिस्टी नै नाच
थे इण रौ पडूत्तर सोधौ।
व्हे जावै इण सूं कीं
अणचींत,
इणसूं आगूंच ई’ज
बोलौ आखर रौ अरथाव।
पांणी रौ सींवा सूं ऊपर सरकणौ
आछौ कोनीं
इण रौ बधाव
आछौ को लागै नीं
उणरौ रूप-गैळीजतौ-लैरीजतौ
मगसौ पड़तौ इण रौ रंग
तोड़तौ माटी रा घाट।
मांनखौ डूबै इण री छोळ,
उणसूं आगूंच कीं सोचौ
क्यू कै
अजै तांई औ है
निरमळ
आछौ नीर।
परभात रै पौर रौ उजास
तपसौ दुपारौ नीं बण जावै
धवळै दूध में कोई कुचमाद नीं कर नांखै
सोचौ-पुरी तौर सूं इणरौ पडूत्तर
जोवौ गांवां री गळियां
सैरां री सड़का री गळियां
सैरां री सड़कां रा फैलाव
सोधौ औ सगळौ संसार।
चिंतां रै चैजै में
पूरी दीठ सूं आखर बारै आवण दौ
जीभ नै सैंस बोला सूं
नूंवा गीत रचावण दौ
गावण दौ गाळ्यां, मंगळगारयां नै
बधावणादौ उण रौ उणियारौ
कैवण दौ आडी रा अरथाव
लोपण दौ घेरा सूनै अरथां रा
बाजण दौ गैराजा त्रांटक
ठोकण दौ सिल्पी हाथां सूं करमां री मेख।
परभात रे पौर रै इण उजास में
दीखण दौ ऊजळा कड़ियां
बाजण दौ मारू र म्रदंग
क्यूं’क अजै तांई
औ है कोरौ सवाल
चमकतौ मुळकतौ/ पळकतौ परभात्यै तारै ज्यूं
आदमीपणै री ओळखांण री आसा में
अटक्योड़ौ
अडिग-धू्रव तारै ज्सूं।