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कोशी के तीरेॅ-तीरेॅ / भाग 2 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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कैन्हेकि
तोरोॅ जन्म के कथौ तेॅ
होने कुछ छै
भगवती पार्वती के
कोश सें
तोरोॅ जन्म छै
तभिये तेॅ
तोहें
कोशिका माय छेकौ
लाल तोरोॅ पानी
अकथ तोरोॅ कहानी।

हरि अनन्त
हरि-कथा अनन्ता
जत्तै देव-ऋषि
ओत्ते तोरोॅ कथा
वेद-पुराण
सब तोरोॅ गाथा गावौं
तोरे कछारी पर कभी
ऋषि विश्वामित्र के
साधना पुरलोॅ रहै
तोरे किनारी पर
आपनोॅ तपोॅ सें
नया लोक गढ़नें रहै।
हे मैया
जबेॅ भगवान विष्णु के पार्षद
शापवश
दोसरोॅ जन्म में
पृथ्वीये केॅ लै केॅ
छिपी गेलोॅ रहै
कहीं पाताललोक में
तबेॅ
मंदार के क्षीर-सागर सें
चली केॅ
ऐलोॅ रहौं विष्णु भगवान
हे कोशिका माय
तोहरे कछारी पर
धारण करनें रहै
वराह के रूप
देखथैं-देखथैं
उतरी गेलोॅ रहै
तोरोॅ अथाह जलराशि में
आरो फेनू
आपनोॅ दन्त के अगुलका भागोॅ पर
पृथ्वी लेनें
निकली ऐलोॅ छेलै
तहियें सें
तोहरोॅ ई अँचरा
कहलैलै
-वराह भूमि।

मतरकि
हे कोशिका माय
आबेॅ तेॅ नै छै-ऊ पार्षद
नै छै-ऊ अलोपित पृथ्वी
मतरकि तोहरोॅ पानी के अँचरा तेॅ
अभियो होने लहरावै छौं
जों कभियो
समेटवो करै छोॅ
तहियो
कहाँ रुकै छै,
लहरैतें लहर

डूबै छै
भाँसै छै
हमरोॅ अंगुत्तराप
हमरोॅ अंग।

हेनै केॅ
नै जानौं
कहिया सें
डूबी-भाँसी रहलोॅ छै
अंगुत्तराप के बीच
छोटोॅ-टा हमरोॅ गाँव
जेना
सागर में सीपी
सीपी में मोती
हेन्हैं केॅ हे कोशी माय
तोरोॅ वेगवती लहर के बीच
हमरोॅ ई गाँव
खरैता।

खोॅ र-पतार सें
भरलोॅ हमरोॅ गाँव
आरो वहेॅ बीचोॅ में
ईंटा-माटी के बनलोॅ
सौ-सवा सौ घोॅर
जखनी हे कोशी माय
तोहें झूमै छोॅ
आपनोॅ सातो बहिन साथें
आरो
डूबेॅ लागै छै
सौंसे ठो अंगुत्तराप
काँही सुपौल
काँही सहरसा
काँही पूर्णिया
काँही कटिहार
काँही खगड़िया
तेॅ काँही अररिया
तखनी हमरोॅ गाँव खरैता
हमरोॅ ई छोटोॅ रङ के गाँव
छिपी जाय छै
तोहरोॅ अँचरा में हे माय
दूर-दूर तक के खोॅर-पतार
आरो घास-पुआर के घोॅर
बुझावै छै
जेना
डेंगी-नाव
बीच धारोॅ में
आबी केॅ
खाड़ोॅ होय गेलोॅ रहेॅ
नै हिलै छै
नै डुलै छै
नै होय छै
कोय्यो टोला में
कोय शोर-गुल
नै बच्चा के
नै जोॅर-जनानी के
नै छौड़ा-छौड़ी के
नै औसरा पर
बूढ़ोॅ-बुजुर्गोॅ के
गप्प उड़ै छै
नै खेतोॅ में जुतै छै
होॅर या केकरो ट्रेक्टर
जबेॅ गूंजै छौं

हे कोशी माय
तोरोॅ आवाज
खलखल बहतें धारोॅ के
तबेॅ छोड़ी दै छै
गामोॅ-गामोॅ केॅ
गाम्हे के लोग
तोहरे कछारी पर खाड़ोॅ होय
गावै छै गीत
तखनी गामोॅ के जोॅर-जनानी
गामोॅ के मल्लाह
कत्तेॅ-कत्तेॅ मनौन
कि हे कोशी माय
तोहें लौटी जा आपनोॅ ससुराल
आपनोॅ लहरा समेटी केॅ
तखनी तोहें
बस यहेॅ बोलै छोॅ
केना लौटवै हम्में
बड़ी दिनोॅ पर
ऐलोॅ छियै आपनोॅ नैहर
हम्में सातो बहिन
आपनोॅ मैय्या
एक ही तेॅ मैयार के द्वार।