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कोसी मैया / अमरेन्द्र

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कोसी मैया खल-खल-खल
सरंग फटै कि उमड़ै जल
बस्ती जंगल खानलेॅ जाय
गुस्सैलोॅ छै कोॅसी माय
हेलबैया संग गुरुओ तंग
ओ ना मा सी कोसी धंग।