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कौने नगर से ऐल रे जोगिया / अंगिका लोकगीत
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
प्रस्तुत गीत में पिता द्वारा शिव के साथ गौरी का विवाह करने से इनकार करने पर गौरी को बलपूर्वक विवाह कर ले जाने की धमकी दी गई है।
कौने नगर सेॅ ऐल रे जोगिया, कहँमाहिं धैल धियान हे।
किनका दरबाजा चढ़ि बैठले रे जोगिया, माँगै गौरी बिआह हे॥1॥
दूरहिं देस सेॅ ऐल रे जोगिया, गाछ तर धैल धियान हे।
कवन बाबू दरबाजा चढ़ि बैठलें रे जोगिया, माँगै गौरी बिआह रे॥2॥
घरअ पिछुअरबा में डोमरा[1] रे भैया, बूनि देहो अरखा[2] पेटार[3] हे।
ओहिं पेटरिया में गौरी नुकायब[4], जोगिया घर घूरि जाय हे॥3॥
तोड़ब अहुती[5] तोड़ब पौती[6] तोड़ब अरखा पेटार हे।
बीचे दरबाजा पर नटुआ नचायब, लै जयब गौरी बिआह हे॥4॥