Last modified on 27 अप्रैल 2017, at 16:20

कौने बाबा अँगना अरुल फूल गछिया / अंगिका लोकगीत

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कौने बाबा अँगना अरुल<ref>अड़हुल</ref> फूल गछिया, डारि लिबिए<ref>झुक जाना</ref> लिबि जाय हे।
सेहो डारि ममोरल<ref>ममोड़ना</ref>, ननुहा<ref>बच्चे के लिए प्यार का संबोधन</ref> से दुलहा बाबू, फुलबा गेल कुम्हलाय हे॥1॥
जब हे दुलहा बाबू पालकी सिरेठ<ref>श्रेष्ठ, प्रवेश करना</ref> भेल, कहरा राखल बिलमाय हे।
हमरो बिधिया दैले<ref>विधि संपन्न करने के लिए इनाम दे लेना</ref> सुन्नर बर, तब हम छोड़ब दुआर हे॥2॥
जब हे सुन्नर बर डेढ़िया<ref>ड्योढ़ी</ref> सिरेठ भेल, चेरिया कलसा लेने ठाढ़ हे।
हमरो बिधिया दैले सुन्नर बर, तब हम छोड़ब दुआर हे॥3॥
जब हे दुलहा बाबू मड़बा सिरेठ भेल, बभना राखल बिलमाय हे।
हमरियो बिधिया दैले सुन्नर बर, तब हम छोड़ब दुआर हे॥4॥
जब हे सुन्नर बर कोहबर सिरेठ भेल, सरहोजी रचल धमार<ref>उछल-कूद</ref> हे।
अपना बहिनी दुलहा सरबा के दै लेहो, तब हम छोड़ब दुआर हे॥5॥
हमरियो कुल सरहोजी बहिनी न उपजल, राम लखन चारो भाय हे।
सेहो चारो भैया जौरे चलि आयल, माँगै सारी<ref>साली</ref> सेॅ बिआह हे॥6॥

शब्दार्थ
<references/>