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कौन, जो बतलाए सच? / गिरधर राठी
Kavita Kosh से
कौन जो बतलाए सच ?
एक मार जो पड़ी उन पर
एक दुलार जो रहा गोपन
इन्हीं के बीच कहीं मेरा उल्लास
और उन का सन्ताप
इन्हीं के बीच वह मरूत-मेघ
इन्द्रधनुष
इन्हीं के बीच कहीं झूमती हैं
हरी-भरी डालें
फूलता मौलिश्री
उड़ते हैं सेमल के फाहे
यह बर्फ़ वह श्रंगार वह रति
वह मेरा सब
इन्हीं के बीच कहीं
दबी-नुची सिसकारी
आह
उड़ान मैं लपकते गिद्धों की
धसान
भेड़ियों के नुकीले दातों की
ठसक
एक नई महाशक्ति के
नए सरताज की
कौन, जो बतलाए सच ?