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कौन अभी पुचकारे अम्मा / दीपक शर्मा 'दीप'
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कौन अभी पुचकारे अम्मा
तुम सा कौन दुला रे अम्मा
दुखियारों का काँसा आके
दर पर किसे पुकारे,अम्मा!
सब अम्मा पर लदते जायें
सब का बोझ उता रे अम्मा
बच्चों की माँगों पे अक्सर
रखती चाँद-सितारे अम्मा
कौन मिला होगा परियों से
हाँ रे हाँ रे हाँ रे अम्मा
रीढ़ रही थीं अम्मा घर की
कह-कर रोये सारे, अम्मा!
आँगन,चूल्हा-चौका,बर्तन
डिबरी-लुगरी,का रे!,अम्मा
तू थी तबतक प्यारे थे,फिर
बहुत गये दुतकारे अम्मा !
हमको तू ही समझा दे अब
हम समझा-कर हा रे अम्मा