भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कौन आएगा यहाँ लेके सँदेशा उसका / निश्तर ख़ानक़ाही
Kavita Kosh से
कौन आएगा यहाँ लेके सँदेशा उसका
खुशकुशी कर भी चुका पाक फ़रिश्ता उसका
अपने पहलू में खिलाता है वो हर शब कोई फूल
सुबह से पहले भुला देना है चेहरा उसका
ऐब की तरह न खुलना है महारत उसकी
बरमला प्यार का इज़हार है पेशा उसका
बेल-आकाश कि होकर भी न हो जुज़्बे-दरख़्त*
जिंदा रहने का ये उस्लूब* अनोखा उसका
बे-रिया* था तो कभी सख़्त भी होता वो शख़्स
वजह रंजिश की है सैयाल* रवैया उसका
1-वृक्ष का भाग
2-शैली
3-निश्छल
4-तरल