सीरतों पर कौन इतना ध्यान देता है,
ये ज़माना सूरतों पर जान देता है.
सिर्फ़ दौलत की चमक पहचांते हैं लोग,
आदमी को कौन अब पहचान देता है.
आज ये किस मोड़ पर आकर खड़े हैं हम
बाप पर बेटा तमंचा तान देता है.
तू उसे दो वक़्त की रोटी नहीं देता
सोच में जिस शख़्स के ईमान देता है.
फूल हैं या ख़ार अंतर ही नहीं कोई,
तू महकने के जिन्हें वरदान देता है.
जब कोई अरमान पूरा ही नहीं होना,
आदमी को किस लिये अरमान देता है.