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कौन उस-सा फ़कीर होता है / प्राण शर्मा

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कौन उस-सा फ़कीर होता है
जो भी दिल का अमीर होता है

उस को क्या ख़ौफ़ है ज़माने का
साफ़ जिसका ज़मीर होता है

ताना हर बात पर नहीं देते
पार दिल के ये तीर होता है

काश, कौधे नहीं कभी बिजली
फूल-सा मन अधीर होता है

वैसा ही होता है मिजाज़ उस का
जिसका जैसा ज़मीर होता है

लोग पत्थर से ही नहीं होते
सबकी आँखों में नीर होता है

"प्राण" सदियाँ ही बीत जाती हैं
पैदा कब नित कबीर होता है.