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कौन करता है कहाँ भूल उन्हें क्या मालूम / श्याम कश्यप बेचैन
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कौन करता है कहाँ भूल उन्हें क्या मालूम
वो तो अपने में हैं मशगूल उन्हें क्या मालूम
ये तो तूफ़ान के आने की पेशबंदी है
तान रक्खे हैं जो मस्तूल उन्हें क्या मालूम
उनकी दुनिया तो है महदूद महज गमलों तक
कैसे खिल जाते हैं बनफूल उन्हें क्या मालूम
चुप हूँ कुछ सोच के वर्ना तो सवालों के जवाब
हैं मेरे पास भी माकूल उन्हें क्या मालूम
वो समझते हैं फ़क़त हमको फटीचर शायर
हम भी अब हो गए मक़बूल उन्हें क्या मालूम