Last modified on 30 जुलाई 2013, at 15:47

कौन कहता है जफ़ा करते हो तुम / 'सिराज' औरंगाबादी

कौन कहता है जफ़ा करते हो तुम
शर्त-ए-माशूक़ी वफ़ा करते हो तुम

मुस्कुरा कर मोड़ लेते हो भवें
ख़ूब अदा का हक़ अदा करते हो तुम

हम शहीदों पर सितम जीते रहो
ख़ूब करते हो बजा करते हो तुम

सुरमई आँखों कूँ क्या सुरमे सीं काम
ना-हक़ उन पर तूतिया करते हो तुम

हर पर-ए-बुलबुल कूँ ऐ ख़ूनीं-निगाह
ख़ून-ए-गुल सीं कर्बला करते हो तुम

पीसते हो दिल कूँ ज्यूँ बर्ग-ए-हिना
हात ख़ूँ आलूदा किया करते हो तुम

ख़ाक करते हो जला जान-ए-‘सिराज’
और कहो क्या कीमिया करते हो तुम