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कौन कहता है सिर्फ़ ध्यान में है / बुनियाद हुसैन ज़हीन


कौन कहता है सिर्फ़ ध्यान में है
वो मेरे दिल में मेरी जान में है

जिसके पर नोच डाले थे तुम ने
वो परिंदा अभी उड़ान में है

कल कोई फ़ासला न था हम में
बेरूख़ी आज दरमियान में है

ज़िंदगी की तबाही का सामाँ
दौरे हाज़िर की हर दुकान में है

वो सुनेगा मेरी दुआओं को
इतनी तासीर तो ज़बान में है

है गवाहों पे फ़ैसले का मदार
झूठ ही झूठ बस बयान में है

कितने दुश्वार मरहले हैं ज़हीन
ज़िंदगी सख़्त इम्तिहान में है