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कौन किसका जानता है हाल शिव शिव / कमलकांत सक्सेना

कौन किसका जानता है हाल शिव शिव।
है दिलों में आज तो भूचाल शिव शिव।

मत उठाना रास्ते का माल शिव शिव।
कह रहा है पुलिसिये का लाल शिव शिव।

हो गया बहती नदी कैलाश पर्वत शिव शिव।
और धरा पर ऊगता पाताल शिव शिव।

नाज पानी के जिसे लाले रहे थे
बन गया मजलूम मालामाल शिव शिव।

इस कदर सुइयाँ चुभोई हैं सभी ने
बोलते हैं हर तरफ घड़ियाल शिव शिव।

खानदानी शासकों के राज-रथ में
अब कहाँ नारद रहे वाचाल शिव शिव

पंक पीड़ा से भरा है यह सही है।
किन्तु बजते हैं 'कमल' के गाल शिव शिव।