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कौन किसकी क्या कहानी कह गया / दरवेश भारती
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कौन किसकी क्या कहानी कह गया
सुनते ही हर शख़्स सहमा रह गया
चन्द उम्मीदों पे था दारो-मदार
टूटते ही जिनके सब-कुछ ढह गया
क्या ज़रूरी था उगलना कड़वा सच
बोल पाया कुछ न वो बस सह गया
वक़्त ने जब भी दिखाया अपना रंग
था ग़ुरूर इन्सान में जो वह गया
कैसे लौटायेंगे 'दरवेश' आप उसे
उम्र का दरिया था बहना, बह गया