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कौन किसके दिल को भाया / हरिवंश प्रभात
Kavita Kosh से
कौन किसके दिल को भाया, ऐसी बातें मत करो,
सुख है अपना दुख पराया, ऐसी बातें मत करो।
मरना पड़ता है किसी को स्वर्ग पाने के लिए,
हमको कब मरना सुहाया, ऐसी बातें मत करो।
राह अँधेरा बहुत पर चलने में क्या हर्ज है,
संग अपना गर ना साया, ऐसी बातें मत करो।
फूलों की ख़िदमत में कितने गीत गाये जा रहे,
काँटों से ही दर्द पाया, ऐसी बातें मत करो।
क्या हुआ हमने उसे देखा नहीं जो सामने,
ख़्वाब ही सौग़ात लाया, ऐसी बातें मत करो।
यूँ सफ़र करते रहें हैं, बन के सूरज चाँद हम,
हो सकी रौशनी ना काया, ऐसी बातें मत करो।