Last modified on 16 मई 2010, at 09:07

कौन पकाए उनके नेक इरादों को, / तलअत इरफ़ानी


कौन पकाए उनके नेक इरादों को,
कच्ची शोहरत मार गयी शहज़ादों को

रंग- बिरंगी कीलें उगीं हवाओं में,
दिन जब सौंपा हमने तेरे वादों को

अब शीशे के ऐसे रौशनदान कहाँ,
दिल में जो रख लें पत्थर सी यादों को

जाने कैसे वक़्त नदी का पुल टूटा,
लौट लिए सब पानी की फ़रियादों को

साहिल काला जादू सब्ज़ हवाओं का,
नीले खेल सिखाये सुर्ख़ मुरादों को

तख़्ती तैर रही है काले पानी पर,
तलअत ख़ाक मिले इज्ज़त उस्तादों को