कौन बातों में आता है पगले
किसको दुखड़ा सुनाता है पगले
क्या बचाया है मैने तेरे सिवा
तू मुझे आजमाता है पगले
ज़ख़्म भी खिलखिला के हँसते हैं
दर्द भी मुस्कुराता है पगले
अपनी कुटिया सुधारने की सोच
चाँद पर घर बनाता है पगले
बिक चुके हैं वो दश्तो-सहरा<ref>वन और रेगिस्तान</ref>सब
अब कहाँ पर तू जाता है पगले
उस परी रूख<ref>परी मुख</ref>के उलटे पाँव भी देख
ये कहाँ दिल लगाता है पगले
शब्दार्थ
<references/>