कौन मान लेगा कीरतुण्ड की कठोरता में,
कोमलता तिल के प्रसून की समाई है।
सैकडों नकीले कवि, खोज-खोज हारे पर,
ऐसी नासिका की और उपमा न पाई है॥
कौन मान लेगा कीरतुण्ड की कठोरता में,
कोमलता तिल के प्रसून की समाई है।
सैकडों नकीले कवि, खोज-खोज हारे पर,
ऐसी नासिका की और उपमा न पाई है॥