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कौन यह पर्दानशीन आ गया इस कक्ष में / उर्मिल सत्यभूषण

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कौन यह पर्दानशीन आ गया इस कक्ष में
शब्द भेदी बाण चुन चुन मारता है वक्ष में

मुस्कुराहटों में लिपट कर आ गये हैं दांव पेंच
सामने गलबांहियाँ, खंजर चलाते वक्ष में

कौरवों की इस सभा में, द्रौपदी लज्जित सदा
और पांडव सर झुकाये बैठते प्रतिपक्ष में

जान लीजै किसलिये किस किस की कुर्बानी हुई
जनसभायें हो रही हैं आज जिस उपलक्ष में

युग युधिष्ठर जानता है इसलिये विचलित नहीं
पूछे नीति प्रश्न उर्मिल, हौसला कहाँ यक्ष में।