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कौन सा भेदी नऽ भेद बतायो / पँवारी
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पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कौन सा भेदी नऽ भेद बतायो
कौन सा नऽ सगुन लिखायो मऽराऽ बाबुल
मऽराऽ बाबुलजी की डेरी बिरानी।।
नौवा सा भेदी नऽ भेद बतायो
ब्रह्मण नऽ सगुन बतायो मऽराऽ बाबुल
मऽराऽ बाबुलजी की डेरी बिरानी।
मर जातो ऊ नौवा, मरऽ जातो बह्मना
काहे मरी लगुन निकाली रे बाबुल
मऽराऽ बाबुल जी की डेरी बिरानी।।
कौन सा भेदी नऽ सगुन लिखायो
कौन सा नऽ लगुन लिखाई रे बाबुल
मऽराऽ भैय्या जी की डेरी बिरानी।।
आब काहे रोवय मऽरोऽ भोरो सो भैय्या
बहिना ते होय ऽ गई परायी।।