भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कौन है जो / अलका सिन्हा
Kavita Kosh से
ये कौन है जो मेरे साथ-साथ चलता है
ये कौन है जो मेरी धड़कनों में बजता है
मुस्कराता है मेरी बेचैनियों पर
दिन-रात मुझसे लड़ता है ।
रोकता है कभी जुबाँ मेरी
कभी बात करने को मचलता है
टीसता है ज़ख़्म का दर्द बनकर
कभी दर्द पर मरहम रखता है।
झटक के हाथ सरक जाता है कभी
कभी उम्र-भर साथ निभाने की क़सम भरता है ।
भीड़ में हो जाता है गुमसुम
ख़ामोशियों में बजता है
ये कौन है जो मेरे चेहरे पर
नूर-सा चमकता है !