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कौन हो तुम, पहचान गए / रामश्याम 'हसीन'
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कौन हो तुम, पहचान गए
देर लगी पर जान गए
अब तो बस हैवान हैं सब
जितने थे इन्सान, गए
चिलमन से वह क्या झाँके
सबके ही ईमान गए
घर के बँटवारे में सब
दरवाज़े, दालान गए
मेरी किसने सुनी 'हसीन'
उनकी सारे मान गए