भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्या-क्या खाया आज ? / उषा यादव
Kavita Kosh से
अजी, बता दो बिन शरमाए,
क्या जलपान उड़ाया आज।
तुमने क्या-क्या खाया आज?
दही-जलेबी, मीठी रबड़ी,
या फिर ताजी दूध-मलाई।
गरम समोसे, सोंठ साथ में
जिसमें तीखी मिर्च-खटाई।
सी-सी करके आँसू का नल
कितनी देर बहाया आज,
तुमने क्या-क्या खाया आज?
ओह, डबलरोटी-मक्खन ही
आज सामने आया होगा।
हो सकता है इन चीजों में
कुछ भी तुम्हें न भाया होगा।
दलिया-दूध देखकर बच्चू,
फिर से मुँह बिचकाया आज।
तुमने क्या-क्या खाया आज?
ऊँ हूँ, नहीं बताऊंगा कुछ,
सुनकर हँसी उड़ाओगे तुम।
सुबह-सुबह जो खाया मैंने
उसको सोच न पाओगे तुम।
मम्मी जी से दो थप्पड़ का
बस प्रसाद है पाया आज।
और न कुछ भी खाया आज।