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क्या करेंगे आप मेरे दिल का मंजर देखकर / अनुज ‘अब्र’

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क्या करेंगे आप मेरे दिल का मंजर देखकर
ख़ामुखा हैरान होंगे इक समंदर देखकर

ये अमीरों की है बस्ती, है अलग इसका चलन
लोग मिलते हैं गले लोगों का पैकर देखकर

साथ चलने का किया था आपने जब फ़ैसला
रुक गए फिर क्यूँ भला राहों में पत्थर देखकर

जान पाया यूँ भी होती है इबादत या ख़ुदा
रक़्स करते तितलियों को कुछ गुलों पर देखकर

आप बेशक ढेर सारे दोस्त रखिये ठीक है
पर भरोसा कीजिये थोड़ा सँभल कर देखकर

गर चराग़ों ने है की हर हाल में जलने की ज़िद
आँधियों ने पाँव भी खींचे है तेवर देखकर

मुझसे कोई राब्ता महसूस कर ये 'अब्र' भी
ख़ुद बरसते जा रहे हैं मुझको भी तर देखकर