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क्या कहा, कठिन है काम / रामेश्वर दयाल दुबे

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क्या कहा कठिन है काम, कभी ऐसा मत बोलो तुम,
कर सकते हो हर काम, शक्ति अपनी तो तोलो तुम।
यदि कठिन नहीं है काम, भला उसका फिर करना क्या,
जिसको मंजिल तक जाना है, उसको फिर डरना क्या।
श्रम करते ही रहने से हर मुश्किल हल होती है,
डूबे बिना सागर तल में मिलता किसको मोती है।
इसलिए कमर कस भाई, स्वागत कर कठिनाई का,
जूझा जो हँसकर लाल, वही है अपनी माई का।
कायर ही कठिनाई का रोना ले रुक जाते हैं,
वीरों के चरणों पर आकर पर्वत झुक जाते हैं।