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क्या कहा, ज़िंदगी से डरते हैं? / पूजा बंसल
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क्या कहा,ज़िंदगी से डरते हैं?
आप तो शायरी भी करते हैं
दिल की राहें,दिमाग़ बैसाखी
अब तो गिरते हैं ना सँभलते हैं
ख्वाब जब दूरियाँ नहीं नापे
रस्तें रस्ता तभी बदलते हैं
घर की दीवारें सब बता देगी
बंद दरवाज़े क्यूँ सिसकते हैं
प्यार से, ज़ोर या ज़बरदस्ती
सारे सिक्कें, तुम्हारे चलते हैं
बस ये हसरत है एक बार कहें
आप किस हद पे प्यार करते हैं?