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क्या कहा ज़िन्दगी ज़रा-सी है / अनिरुद्ध सिन्हा

क्या कहा ज़िन्दगी ज़रा-सी है
जो भी जितनी है वो बला-सी है

कब बरस जाए कोई ठीक नहीं
रात आँखों में इक घटा- सी है

कौन हंसता है ज़र्द मौसम में
हर तरफ़ तो अभी उदासी है

मैं जिसे पूजता हूँ वो धरती
क्यों मेरे आँसुओं की प्यासी है

वो जिधर जाए फूल खिल जाएँ
वो है पानी-सी और हवा-सी है