क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ / इक़बाल
क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ
और असीरे-हल्क़ा-ए-दामे-हवा<ref> मैं, यानि तूफ़ानी हवा क़ैद हो कर कैसे रह गया</ref> क्योंकर हुआ
जाए हैरत है बुरा सारे ज़माने का हूँ मैं
मुझको यह ख़िल्लत<ref>तमग़ा</ref> शराफ़त का अता <ref>प्रदान</ref>क्योंकर हुआ
कुछ दिखाने देखने का था तक़ाज़ा तूर पर
क्या ख़बर है तुझको ऐ दिल फ़ैसला क्योंकर हुआ
देखने वाले यहाँ भी देख लेते हैं तुझे
फिर ये वादा हश्र का सब्र-आज़मा<ref>धैर्य की परीक्षा लेने वाला </ref> क्योंकर हुआ
तूने देखा है कभी ऐ दीदा-ए-इबरत<ref>चौकस,चौकन्नी आँख</ref> कि गुल
हो के पैदा ख़ाक से रगीं-क़बा<ref>रंगीन चोली वाला</ref> क्योंकर हुआ
मौत का नुस्ख़ा अभी बाक़ी है ऐ दर्दे-फ़िराक़<ref>जुदाई की पीड़ा</ref>
चारागर दीवाना है मैं लादवा <ref>दवा रहित </ref>क्योंकर हुआ
पुरसशे-आमाल <ref>हाल चाल पूछने </ref>से मक़सद था रुस्वाई मेरी
वर्ना ज़ाहिर था सभी कुछ क्या हुआ क्योंकर हुआ
मेरे मिटने का तमाशा देखने की चीज़ थी
क्या बताऊँ मेरा उनका सामना क्योंकर हुआ