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क्या कहें क्या से क्या हो गया / कल्पना 'मनोरमा'

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क्या कहें क्या से क्या हो गया।
आसमा बेबफ़ा हो गया।

हाथ सिर से पिता का उठा
वो अचानक बड़ा हो गया।

माँगने से मिला कुछ नहीं
बाँटने से भला हो गया।

पत्थरों से रहा खेलता ,
चोट खाई,ख़फ़ा हो गया।

दीप जब-जब जलाए गए
रुख़ हवा का कड़ा हो गया।

सूखने को था बूढा शज़र
प्यार से फिर हरा हो गया।

जब दवाएं हुईं बेअसर
दर्द,उसकी दवा हो गया।