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क्या क्या नहीं किया मगर उन पर असर नहीं / 'बाकर' मेंहदी
Kavita Kosh से
क्या क्या नहीं किया मगर उन पर असर नहीं
शायद के अपनी सई-ए-जुनूँ कार-गर नहीं
घबरा के चाहते हैं के गर्दिश में हम रहें
मंज़िल कहीं न हो कोई ऐसा सफ़र नहीं
मिल जाए एक रात मोहब्बत की ज़िंदगी
फिर ख़्वाहिश-ए-हयात हमें उम्र भर नहीं
आवारगी में लुत्फ़ ओ अज़ीयत के बावजूद
ऐसा नहीं हवा के फ़िक्र-ए-सहर नहीं