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क्या ख़ता हो गयी ये बता दीजिये / हरकीरत हीर
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क्या ख़ता हो गयी ये बता दीजिये
यूँ खफ़ा हो हमें मत सजा दीजिये
हैं फ़रिश्ते नहीं हम तो इंसान हैं
गलतियाँ गर करें तो भुला दीजिये
ज़िन्दगी तुझ से है तुझ से ही रौशनी
फ़िर दिया प्रेम का वो जला दीजिये
यहाँ दामन सभी का है अश्क़ों भरा
कौन खाली है ग़म से बता दीजिये
चाहतों की मिरी है गुज़ारिश यही
आशियाँ आप दिल का बसा दीजिये
लागि कैसी अगन ये तिरे प्यार की
फासले ये दिलों के मिटा दीजिये
हीर चाहो कभी जो बुलाना हमें
बस ज़रा मुस्कुराहट बिछा दीजिये