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क्या गाऊँ जो मैं तेरे मन को भा जाऊँ / हरिवंशराय बच्चन

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क्या गाऊँ जो मैं तेरे मन को भा जाऊँ।

प्राची के वातायन पर चढ़
प्रात किरन ने गाया,
लहर-लहर ने ली अँगड़ाई
बंद कमल खिल आया,
मेरी मुस्कानों से मेरा
मुख न हुआ उजियाला,
आशा के मैं क्या तुमको राग सुनाऊँ।
क्या गाऊँ जो मैं तेरे मन को भा जाऊँ।